श्री (SHRI) – बिहार से उठी एक उम्मीद की कहानी

SHRI

1. परिचय—वास्तविक समस्या

SHRI बचपन की एक स्मृति है। सुबह-सुबह गाँव की ओर लोग लोटा लेकर खेतों की ओर जाते दिखते थे। धुंध के बीच बच्चे झगड़ते हुए और बुजुर्ग धीरे-धीरे चलते हुए, महिलाएँ अपने चेहरे पर घूँघट खींचे। ये दृश्य मेरे गाँव का नहीं, बल्कि बिहार और पूरे भारत का है।

हमारे समाज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक वर्षों से खुले में शौच है। महिलाएँ शर्म और भय से अंधेरे होने की प्रतीक्षा करती हैं। छोटे बच्चे लगातार बीमार रहते हैं। और बारिश होने पर गंदगी पूरे गाँव में फैल जाती है।

यह सिर्फ स्वास्थ्य की समस्या नहीं थी, बल्कि मान-सम्मान की लड़ाई भी थी।


2. प्रश्न: क्या कोई समाधान है?

हमने सरकारी कार्यक्रम देखे और कई अभियान सुने। लेकिन गाँवों में स्थिति सामान्य रही। शौचालय बनाने का खर्च बहुत अधिक है, और जो भी बने हैं, वे सही से नहीं प्रयोग होते।

इसके बाद सवाल उठाया गया: “क्या इस समस्या का कोई स्थायी हल है? क्या कोई प्रणाली सस्ती, टिकाऊ और सभी के लिए उपयुक्त है?”


3. स्टार्टअप परिचय: समाधान शुरू करना

SHRI (Sanitation and Health Rights in India) इस प्रश्न का जवाब था।

यह सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं, बल्कि एक मिशन है, जिसने बिहार की मिट्टी से जन्म लेकर हज़ारों लोगों का जीवन बदल दिया है। SHRI का लक्ष्य था हर व्यक्ति को सस्ती, सुलभ और सम्मानजनक शौचालय सुविधा देना।


4. संस्थापक की यात्रा: कठिनाई और विचार

SHRI को बनाने वाले तीन लोग हैं अnoop Jain, Chandan Kumar, और Prabin Kumar Ghimire।

तीनों का दर्द एक ही था, हालांकि उनकी पृष्ठभूमि अलग थी।

अनोप जाइन—अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद भारत लौटे हैं। उन्हें लगता था कि साफ-सफाई की ज़रूरत उतनी बड़ी है जितना शिक्षा और रोजगार की ज़रूरत है।

Chandan Kumar बिहार के एक गाँव से हैं। उन्हें अपनी आँखों से देखा कि उनकी माँ और बहनें शौचालय न होने के कारण कितना संघर्ष करते थे।

Prabin Kumar Ghimire—नेपाल में रहते हुए भी, भारत के गाँवों में काम करते हुए मैंने स्वच्छता को एक विश्वव्यापी चुनौती समझी।

तीनों ने निश्चय किया कि सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा; असली बदलाव तभी होगा जब हम गाँव में जाकर जमीन पर काम करेंगे।


5. मुद्दा: प्रारंभिक विफलताएँ

समुदाय ने SHRI की शुरुआत करते हुए हँस दिया।

“अरे भइया, हम सिर्फ खेत में हैं, शौचालय कौन बनाया?”“इतना पैसा कहाँ से मिलेगा?”एनजीओ के लोग आते हैं, फोटो लेते हैं और चले जाते हैं।”

यह सुनना मुश्किल था। कई बार ऐसा लगा कि लोग शायद बदलाव के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन अनोप, चंदान और प्रबीन ने हार नहीं मानी।


6: प्रभाव: ज़िंदगियाँ बदल गईं कैसे?

SHRI ने धीरे-धीरे अपनी रणनीति बदली। उन्हें केवल शौचालय बनाने का लक्ष्य नहीं था, बल्कि समुदाय को एकजुट करने का लक्ष्य था।

सस्ती प्रौद्योगिकी: SHRI ने कम लागत वाले टिकाऊ शौचालय मॉडल बनाए हैं।

सुविधा: गाँव-गाँव जाकर लोगों को बताया कि यह उनकी गरिमा और सेहत दोनों के लिए आवश्यक है।

काम: शौचालय बनाने में स्थानीय कर्मचारियों को काम पर लगाया, जिससे लोगों को काम मिल गया।

दृश्य धीरे-धीरे बदलने लगा।

अब महिलाएँ रात का इंतज़ार नहीं करतीं।

बच्चे डायरिया से बचने लगे।

गाँव में आत्मसम्मान और इज़्ज़त वापस आ गए।

आज बिहार और आसपास के राज्यों में SHRI ने हज़ारों परिवारों को शौचालय की सुविधा दी है।


7. गंभीर मुद्दा: भविष्य का सपना

SHRI की यात्रा यहीं समाप्त नहीं होगी।

उनकी कल्पना है:

पूरे बिहार खुला डेफिकेशन रखें।

तकनीक का उपयोग करके और भी सस्ता और पर्यावरण-मित्र शौचालय बनाना।

इस मॉडल को नेपाल और पूरे भारत में फैलाना।

तीन युवा ने अपने साहस और मेहनत से एक आंदोलन बनाया, जो लोगों ने अनदेखा कर दिया था।


8. भावनात्मक अनुभव: मेरा व्यक्तिगत अनुभव

मैं बिहार के एक छोटे से गाँव से आता हूँ। याद है, बचपन में कई बार बीमार पड़ा था, और डॉक्टर ने कहा, “ये गंदगी और दूषित पानी की वजह से है।”उस समय हमें ये सब प्राकृतिक खेल लगता था।

लेकिन श्री की कहानी देखकर मुझे लगा कि असली बदलाव हमारे हाथ में है। जब मैं आज गाँव लौटता हूँ और देखता हूँ कि लोगों के घरों में शौचालय हैं और बच्चे खुले में भागते नहीं दिखते, तो मुझे यकीन है कि मेरी आँखें भर आती हैं।


9. खोज इंजन की दृष्टि से— कीवर्ड मेल

यह SHRI स्टार्टअप की नहीं, बल्कि बिहार स्टार्टअप की सफलता की कहानी है।

SHRI ने सस्ती समाधान देकर दिखाया कि बदलाव सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है।

यह दिखाता है कि बिहार से भी अलग शुरूआत कर सकते हैं।

सस्ते सफ़र या “एक रास्ते का टैक्सी बिहार” का विचार कई बार उठाया जाता है, लेकिन SHRI ने दिखाया कि सस्ती स्वच्छता भी एक क्रांति हो सकती है।

यह सिर्फ एक हिंदी startup कहानी नहीं, बल्कि एक भावुक यात्रा है।

SHRI की यात्रा हमें बताती है कि भारत में सस्ती स्टार्टअप समाधानों की कितनी आवश्यकता है।

SHRI जल्द ही एक पूरे भारत की कहानी बन जाएगा, न सिर्फ बिहार की startup सफलता की कहानी।


10. कॉल-टू-एक्शन – Startuprahi.in की ओर से संदेश

दोस्तों, SHRI की यह यात्रा हमें सिखाती है कि अगर सोच सही हो और नीयत साफ़ हो, तो गाँव की गलियों से भी दुनिया बदलने वाले स्टार्टअप निकल सकते हैं

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SHRI की तरह, शायद अगली कहानी आपके गाँव से निकले।


✍️ लेखक: Startuprahi.in टीम – जहाँ हर स्टार्टअप की कहानी मिलती है मानवीय स्पर्श और असली जज़्बात के साथ।

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